गुलज़ार मोटिवेशनल

 एक वक्त ऐसा था जब उसका नाम सुनते ही मुस्करा देते थे हम 

एक वक्त ये है की उसका जिक्र होते ही हम बात बदल देते है 



बहुत कम लोग है जो मेरे दिल को भाते है 

और उससे भी बहुत कम है जो मुझे समझ पाते है


 नाराजगी चाहे कितनी भी क्यों न हो तुमसे 

तुम्हे छोड़ देने का ख्याल हम आज भी नहीं रखते 



किस्मत के कुछ फैसले हमारे हक में नहीं होते

बस कुछ यादे साथ रह जाती है जिंदगी भर के लिए


हिम्मत कर सब्र कर बिख्रर कर भी सवर जायेगा 

यकीन कर शुक्र कर वक्त ही तो है गुजर जायेगा



ना मेरा दिल बुरा था ना उसमे कोइ बुराई थी

सब मुकदर का खेल है किस्मत में ही जुदाई थी 



इतने बुरे नहीं थे हम जितने इल्जाम लगाए लोगो ने 

कुछ किस्मत खराब थी कुछ आग लगाई लोगो ने 


गुलज़ार मोटिवेशनल शायरी

 कदर और वक्त भी कमाल के होते है 

जिसकी कदर करों वो वक्त नहीं देता

और जिसको वक्त दो वो कदर नहीं करता




फर्क तो अपनी अपनी सोच में होता हैजनाब

वरना दोस्ती भी मोहब्बत से कम नहीं होतीं



अगर मोहब्बत उनसे ना मिले

जिन्हे आप चाहते हो तो

मोहब्बत उनको जरूर देना

जो आपको चाहते है

 


किसी को चाहकर छोड़ देना 

कोई बड़ी बात नही

किसी को छोड़कर भी चाहो

तो पता चले इश्क किसे कहते है



माना की तेरी नजरो में

कुछ खास नहीं हु में

कदर उनसे जाकर पूछ

जिसको हासील नहीं हु में 



जन्म कब लेना और मरना कब

यह तय हम नहीं कर सकते 

पर जीना कैसे है वो हम 

तय कर सकते है 




एक वाइरस मेरा कीमती खजाना ले गया 

दोस्त के साथ बैठे हुए जमाना हो गया 



कुछ मिला और कुछ मिलते मिलते छूट गया

शायद सपना था जो आँख खुलते ही टूट गया 



जिंदगी में अगर कोई अच्छा लगे तो 

उसे सिर्फ चाहना प्यार मत करना 

क्योकि प्यार खत्म हो जाता है 

पर चाहत कभी खत्म खत्म नहीं होती 



वजह पूछोगे तो सारी उम्र गुजर जाएगी 

कहा ना अच्छे लगते हो तो लगते हो 

गुलज़ार लव मोटिवेशनल

 जरुरी नहीं इश्क़ में, बाहों के सहारे मिले 

किसी को जी भर के , महसूस करना भी मोहब्बत है |





हमने भी एक ऐसे इंसान को चाहा 

जिसे भूलना हमारे बस में नहीं 

और पाना क़िस्मत में नहीं 





जोड़ियां सोच समझ कर बनाया कर ऐ खुदा 

हर कोई हर किसी के लायक नहीं होता 





कदर किया करो उसकी जो 

आपके बेरुखे व्यहवार के बाद भी 

आपसे प्यार से बात करता है



 


एक अच्छा दोस्त, एक अच्छी किताब 

एक अच्छी सोच 

ये तीन चीज़ इंसान की ज़िन्दगी बदल देती है 





झगड़ा तभी होता है , जब दर्द होता है 

और दर्द तब होता है जब प्यार होता है 





किसी की आदत लगाने में वक़्त नहीं  लगता 

मगर आदत ख़त्म करने में ज़िन्दगी गुजर जाती है 




इज़हार से पता नहीं लगता किसी के प्यार का 

इंतज़ार बताता है की तलबगार  कौन है 

गुलज़ार मोटिवेशनल शायरी

 बदले बदले से हो जनाब क्या बात हो गयी 

शिकायते हमसे है या किसी और से मुलाकात हो गयी




इससे अच्छी दोस्ती और क्या हो सकती है 

की हम बहुत दिनों से मिले नहीं 

मगर यारी आज भी बेशुमार है 


चल तू ही बता कैसे छोड़ दू में तुझसे मोहब्बत करना 

तुम मेरे नसीब में न सही लेकिन दिल में तो है 



सब्र करो 

कोई नज़रअंदाज कर रहा है तो करने दो 

देख-कर अनदेखा कर रहा है तो करने दो 

बस याद रखना की वक़्त सबका आता है 


मेरे बिना क्या अपनी ज़िन्दगी गुजर लोगे तुम 

इश्क़ हूँ बुखार नहीं जो दवा से उतर लोंगे तुम 



किसी से दिल लग जाए वो मोहब्बत नहीं 

किसी के बगैर दिल न लगे 

जी हां वो मोहब्बत है 


बहुत कुछ है कहने को 

पर ना जाने क्यू 

अब कुछ ना कहूँ वही बेहतर लगता है 


कभी कभी नाराज़गी भी जरुरी है 

ताकि पता तो चले 

हमें मनाने वाला कोई है भी या नहीं 

बेस्ट सेड शायरी गुलज़ार साहब

तन्हाई की दीवारों पर
घुटन का पर्दा झूल रहा हैं,
बेबसी की छत के नीचे,
कोई किसी को भूल रहा है






मेरी कोई खता तो साबित कर,
जो बुरा हूँ तो बुरा तो सभीत कर!
तुम्हें चाहा है कितना तू जा जाने,
चल में बेवफा ही सही.. तू अपनी वफ़ा तो साबित कर!!




मिल गया होगा कोई गजब का हमसफ़र,
वरना मेरा यार यूँ बदले वाला नहीं था!




सुनो…
जब कभी देख लुं तुमको
तो मुझे महसूस होता है कि
दुनिया खूबसूरत है




तुम्हारी खुशियों के ठिकाने बहुत होंगे,
मगर हमारी बेचेनियों की वजह बस तुम हो!







हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते

वक्त की शाख से लम्हे नहीं तोड़ा करते





कौन कहता है हम झूंठ नहीं बोलते,
एक बार खैरियत पुछ कर तो देखिये!





झूंठे तेरे वादों पर बरस बिताए,
ज़िन्दगी तो काटी बस अब यह रात कट जाए!





तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं,
रात भी आयी और चाँद भी था, मगर नींद नहीं






कभी तो चौक के देखे वो हमारी तरफ़,
किसी की आँखों में हमको भी वो इंतजार दिखे





कैसे करें हम ख़ुद को
तेरे प्यार के काबिल,
जब हम बदलते हैं,
तो तुम शर्ते बदल देते हो





जिसकी आँखों में कटी थी सदियाँ,
उसी ने सदियों की जुदाई दी है!






कुछ अधूरे से लग रहे हो आज,
लगता है किसी की कमी सी है!



  


गुलज़ार मोटिवेशनल शायरी

 कुछ बाते तब तक समझ में नहीं आती 

जब तक खुद पर ना गुजरे 



में वो क्यों बनूँ जो तुम्हे चाहिये

तुम्हे वो कबूल क्यों नहीं जो में हूँ 



कुछ करना हो तो, भीड़ से हटके चलिए

भीड़ सहास तो देती है, मगर पहचान छीन लेती है 



थोड़ा सा रफू करके देखिये ना 

फिर से नई सी लगेगी, ज़िन्दगी ही तो है  



बहुत अंदर तक जला देती है वो शिकायते 

जो बया नहीं होती 



अच्छी किताबे और अच्छे लोग 

तुरंत समझ में नहीं आते 

उन्हें पढ़ा जाता है 



एक सपने से टूटकर, चकना-चूर हो जाने के बाद 

दूसरा सपना देखने के हौंसले, का नाम ज़िन्दगी है 




तकलीफ खुद की कम हो गयी 

जब अपनो से उम्मीद कम हो गयी 

गुलज़ार मोटिवेशनल

 एक वक्त ऐसा था जब उसका नाम सुनते ही मुस्करा देते थे हम  एक वक्त ये है की उसका जिक्र होते ही हम बात बदल देते है  बहुत कम लोग है जो मेरे दिल ...