बेस्ट सेड शायरी गुलज़ार साहब

तन्हाई की दीवारों पर
घुटन का पर्दा झूल रहा हैं,
बेबसी की छत के नीचे,
कोई किसी को भूल रहा है






मेरी कोई खता तो साबित कर,
जो बुरा हूँ तो बुरा तो सभीत कर!
तुम्हें चाहा है कितना तू जा जाने,
चल में बेवफा ही सही.. तू अपनी वफ़ा तो साबित कर!!




मिल गया होगा कोई गजब का हमसफ़र,
वरना मेरा यार यूँ बदले वाला नहीं था!




सुनो…
जब कभी देख लुं तुमको
तो मुझे महसूस होता है कि
दुनिया खूबसूरत है




तुम्हारी खुशियों के ठिकाने बहुत होंगे,
मगर हमारी बेचेनियों की वजह बस तुम हो!







हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते

वक्त की शाख से लम्हे नहीं तोड़ा करते





कौन कहता है हम झूंठ नहीं बोलते,
एक बार खैरियत पुछ कर तो देखिये!





झूंठे तेरे वादों पर बरस बिताए,
ज़िन्दगी तो काटी बस अब यह रात कट जाए!





तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं,
रात भी आयी और चाँद भी था, मगर नींद नहीं






कभी तो चौक के देखे वो हमारी तरफ़,
किसी की आँखों में हमको भी वो इंतजार दिखे





कैसे करें हम ख़ुद को
तेरे प्यार के काबिल,
जब हम बदलते हैं,
तो तुम शर्ते बदल देते हो





जिसकी आँखों में कटी थी सदियाँ,
उसी ने सदियों की जुदाई दी है!






कुछ अधूरे से लग रहे हो आज,
लगता है किसी की कमी सी है!



  


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