अफवाह थी की मेरी तबियत ख़राब हैं
लोगो ने पूछ पूछ के बीमार कर दिया,
रातों को चांदनी के भरोसें ना छोड़ना
सूरज ने जुगनुओं को ख़बरदार कर दिया,
रुक रुक के लोग देख रहे है मेरी तरफ
तुमने ज़रा सी बात को अखबार कर दिया,
इस बार एक और भी दीवार गिर गयी
बारिश ने मेरे घर को हवादार कर दिया,
बोल था सच तो ज़हर पिलाया गया मुझे
अच्छाइयों ने मुझे गुनहगार कर दिया,
दो गज सही ये मेरी मिलकियत तो हैं
ऐ मौत तूने मुझे ज़मीदार कर दिया…. !!
रोज़ तारों को नुमाइश में खलल पड़ता हैं
चाँद पागल हैं अंधेरे में निकल पड़ता हैं,
मैं समंदर हूँ कुल्हाड़ी से नहीं कट सकता
कोई फव्वारा नही हूँ जो उबल पड़ता हैं,
कल वहाँ चाँद उगा करते थे हर आहट पर
अपने रास्ते में जो वीरान महल पड़ता हैं,
ना त-आरूफ़ ना त-अल्लुक हैं मगर दिल अक्सर
नाम सुनता हैं तुम्हारा तो उछल पड़ता हैं,
उसकी याद आई है साँसों ज़रा धीरे चलो
धड़कनो से भी इबादत में खलल पड़ता हैं…!!
दोस्ती जब किसी से की जाये,
दुश्मनो की भी राये ली जाये,
मौत कजेहर है फिज़ाओ में ,
अब खा जाके सांस ली जाये,
बस इसी सोच में हूँ डूबा हुआ,
ये नदी कैसे पार की जाये,
मेरी ज़िन्दगी के जख्म भरने लगे,
आज कोई भूल की जाये,
बोतले खोल के पी बरसों ,
आज दिल खोल के पि जाये
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